सुबहे रोशन की कभी शाम की बातें की हैं
इस तरह गर्दिश-ऐ-अय्याम की बातें की हैं
वही जज्बा जो मोहब्बत का अमीं होता है
हाँ उसी जज्बा-ऐ-नाकाम की बातें की हैं
हम सुना बैठे हैं अफसाना-ऐ-कौनैन उन्हें
और कहने को फ़क़त नाम की बातें की हैं
चाँद मोहूम उम्मीदों का सहारा लेकर
आज उनसे दिल-ऐ-नाकाम की बातें की हैं
काँप उठी है मेरी दुनिया-ऐ-मोहब्बत ऐ दोस्त !
दिल से जब इश्क के अंजाम की बातें की हैं
मै गुज़र आया हर एक केफियते मय से जकी
वह समझते हैं कि बस जाम कि बातें की हैं
---------महमूद जकी