Wednesday, October 22, 2008

दिवाली

आज दिवाली है फिर दीप जलेंगे साथी
जगमगाएगा नई शान से भारत अपना
रूप बदलेगी नए ढंग से मोहब्बत अपना
तेरे शायर को नए गीत मिलेंगे साथी

काश ये दीप हर एक दिल में उजाला कर दें
इन के जलने से जहालत के अंधेरे जल जाएँ
इनकी खुशियों से ज़माने को सवेरे मिल जाएँ
काश इज्ज़त को वतन की ये दो बाला कर दें

दिल के अरमान तुझे आज बताऊँ साथी
काश अल्फाज़ में पैदा ये असर हो जाए
काश दिवाली की ये रात अमर हो जाए
और में तुझको यूँ ही गीत सुनाऊँ साथी

गीत से मेरे ये महफिल ही निराली हो जाए
यूँ अगर हो तो हकीक़त ही दिवाली हो जाए
--------महमूद जकी



आप सभी को दिवाली मुबारक

Monday, October 13, 2008

हाथ बटाओ

जीने का अहसास सजाओ

दुख में सुख के दीप जलाओ

मेरे गीत पे झूमने वालों

आओ मेरा हाथ बटाओ

-------- महमूद जकी