Monday, October 13, 2008

हाथ बटाओ

जीने का अहसास सजाओ

दुख में सुख के दीप जलाओ

मेरे गीत पे झूमने वालों

आओ मेरा हाथ बटाओ

-------- महमूद जकी

11 comments:

PREETI BARTHWAL said...

बहुत अच्छा ।

फ़िरदौस ख़ान said...

बहुत ख़ूब...

BrijmohanShrivastava said...

डाक्टर साहेब =अपनी रचनाओं से भी तो हम को लाभान्वित कीजिये /आप तो दिन रात शायरों की शायरी पढ़ते रहते है ,आप निश्चत शायरी करते होंगे गजल लिखते होंगे तो उन्हें यहाँ पेस्ट करिए ताकि आपके पाठक पढ़े और यदि पेस्ट की हों तो कृपया अवगत कराइए आपका निवास स्थान तो दे ही नहीं रखा है

seema gupta said...

मेरे गीत पे झूमने वालों

आओ मेरा हाथ बटाओ

"wow what a motivating and inspiring thought'

regards

डॉ .अनुराग said...

जरूर आप हाथ बढाईये

hindustani said...

aap bhoot aacha likhte hai.
dhanyvad jo aap mere blog per padhare.

hindustani said...

aap bhoot aacha likhte hai.
dhanyvad jo aap mere blog per padhare.

parul said...

chaar lino ne hi subkuch kha diya

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह साब वाह
हमारे हाथ आपके साथ

RAJ SINH said...

AAPKEE SAB POSTEN AUR YATRATATRA AAPKEE TIPPANIYAN PADHEEN.AAPKE BHEETAR EK NEK INSAN HAI JO SAREE DUNIYA SE HAATH MILANE AUR HAATH BATANE KO UTSUK HAI.PADH KAR ACHCHA LAGA.

BrijmohanShrivastava said...

दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ ""