Saturday, May 31, 2008

पानी रे पानी

पानी रे पानी, तेरी कहानी, कितनी सुहानी। पानी कितनी तरह का होता है इसको शब्दों मे बंधना मुश्किल है। पानी आपार है , उसके रूप अनेक। पानी का मतलब इंसान की ज़िंदगी और उसकी ज़रूरत के लिहाज़ से तब्दील होता है। पानी के बिना ज़िंदगी का तसव्वुर नामुमकिन सा लगता है। अगर हम जल ही जीवन है कहते हैं तो इसका यह मतलब नही है कि हम जीवन के दुसरे तत्वों के महत्व को कम कर रहे हैं, बल्कि हमारा मकसद पानी की अहमियत बयान करना होता है। पानी के महत्व का अंदाजा इसी बात से होता है कि ज़मीन का ७० प्रतिशत हिस्सा पानी मे है। ८० प्रतिशत फल और सब्जी पानी से ही बनते हैं। हमारा शरीर ५०-७० प्रतिशत पानी का बना हुआ है। पानी कि अधिकता जहाँ इंसान के शरीर के लिए तकलीफ का कारण होती है वहीं पानी कि कमी भी शरीर मे विभिन्न प्रकार की कमजोरियों को जन्म देती है। कहने का मतलब यह है की शरीर के विभिन्न तत्वों के साथ पानी का सही संतुलन होना बेहद आवश्यक है।
हर व्यक्ति के लिए पानी शारीरिक रूप से जितना महत्वपूर्ण है उतना ही अन्य कारणों से भी बेहद अहमियत रखता है। किसी के लिए समंदर का पानी जीवन है तो किसी की आशाएं बारिश के पानी से जुड़ी होती हैं। कोई नदी के पानी पर निर्भर है तो कोई कुऐ के पानी से अपनी ज़िंदगी की गाड़ी चला रहा है। मतलब पानी अपने आप को हर एक व्यक्ति की ज़िंदगी से इस प्रकार जुड़े हुए है जिसको अलग करने से ज़िंदगी बेमतलब सी दिखई देने लगे। चाहे फिर वह तालाब का पानी हो या झील का, नाले का पानी हो या गरम या ठंडा पानी, मीठा पानी हो या खारा पानी, पवित्र पानी हो या अपवित्र पानी, ज़हरीला पानी हो या अमृत की तरह का पानी।
हमारे सामाजिक परिदर्श्य मे पानी ने कहावतों का रूप ले कर अपनी अहमियत को और बेहतर तरीके से साबित किया है। जेसे शर्म से पानी पानी होना, आँख का पानी मर जाना, चुल्लू भर पानी मे डूब मरना या आखरी समय मे पानी देने वाला होना।
कहने का तात्पर्य यह है के पानी के महत्त्व को सही रूप मे समझते हुए उसकी बर्बादी को रोका जाए, हर स्तर पर। हर व्यक्ति को पानी का गिलास हाथ मे लेते समय सोचना चाहिए कि पानी की कमी कितने दर्दनाक हालात पैदा कर सकती है। किसी ने सोचा था आज से ६०-७० साल पहले कि एक दिन पानी को बोतल मे बंद करके बेचा जाएगा, आज हो रहा है। अब तो हमे सोचना होगा आने वाले समय के लिए।
पानी आज ही कितने देशों के बीच विवाद के मुद्दा बन चुका है। क्या होगा जब पानी की कमी और बढेगी? यह तो पहले ही कहा जाता रहा है कि तीसरा महायुद्ध पानी पर वर्चस्व को लेकर ही होगा। हम अपने इस महत्वपूर्ण खजाने को बचने के लिए क्या कर रहे हैं? यह सोचना आज बहुत ज़रूरी है।

Thursday, May 29, 2008

नज़रिये का मक़सद

हर इंसान अपनी ज़िंदगी को अपने अंदाज़ में जीता है और उसके अपने तजुर्बे होते हैं उनका सामना करने के। इन्ही तजुर्बों को मद्देनज़र रखते हुए उसका एक नज़रिया बनता है। इस ब्लॉग मे मुमकिन है आपको अपने तजुर्बे दिखाई दें, पर एक अलग नज़रिये के साथ, क्यूंकि यह नज़रिया मेरा है। मेरा मानना है कि ज़िंदगी की दिलचस्प और सबक देने वाली घटनाओं को आपस मे बांटते हुए ही इंसानी ज़िंदगी ने यह तरक्की की है जिसका हम लोग मज़ा ले रहें है। तरक्की के इसी सिलसिले को आगे बढाने के क्रम मे इस ब्लॉग की उत्पति हुई है।