Friday, August 20, 2010

आज का नजरिया



देहली वाले बारिश से बेहाल हुए

उनके चहरे घुस्से से कैसे लाल हुए

क्या कर रही ही हुकूमत drainage सिस्टम का

अब तो संसद में भी यह सवाल हुए

Wednesday, July 28, 2010

aa ka nazariyah 'mehangaee daayan'

Menhagaee ke mudde per sansad nahi chali
Lekin kisi ki baat isse nahi bani
Sabhi ne ki siyasat roti ke moal per
Phir bhi aam aadmi ko rahat nahi mili

Tuesday, July 20, 2010

रेल हादसा


रेल हादसे की डाइन खाए जात है


हर तरफ से मुश्किल में इंसानी ज़ात है


मातम ही मातम हर सू दिखाई दे


दिन में भी लगता ही कि काली रात ही

Wednesday, November 19, 2008

आगाज़


मैंने आगाज़ में अंजाम की बातें की हैं
गर समझ लो तो बड़े काम की बातें की हैं

सुबहे रोशन की कभी शाम की बातें की हैं
इस तरह गर्दिश-ऐ-अय्याम की बातें की हैं

वही जज्बा जो मोहब्बत का अमीं होता है
हाँ उसी जज्बा-ऐ-नाकाम की बातें की हैं

हम सुना बैठे हैं अफसाना-ऐ-कौनैन उन्हें
और कहने को फ़क़त नाम की बातें की हैं

चाँद मोहूम उम्मीदों का सहारा लेकर
आज उनसे दिल-ऐ-नाकाम की बातें की हैं

काँप उठी है मेरी दुनिया-ऐ-मोहब्बत ऐ दोस्त !
दिल से जब इश्क के अंजाम की बातें की हैं

मै गुज़र आया हर एक केफियते मय से जकी
वह समझते हैं कि बस जाम कि बातें की हैं

---------महमूद जकी

Friday, November 7, 2008

बहार-ऐ-इश्क

सभी बहार-ऐ-इश्क लाज़वाल कहते आए हैं

बगैर इश्क ज़िन्दगी वबाल कहते आए हैं

मुझे गुरुर-ऐ-ज़ब्त-ऐ-ग़म नही मगर ये अहले दिल

इन आँसूओं का रोकना कमाल कहते आए हैं

बकैद-ऐ-रस्म-ऐ-आशिकी ब-पास-ऐ-अजमत-ऐ-वफ़ा

नज़र-नज़र से अपने ग़म का हाल कहते आए हैं

जुनू जिसे समझ गया , मगर न अक्ल पा सकी

वह इस तरह भी किस्सा-ऐ-जमाल कहते आए हैं

कशाकश-ऐ-हयात ही तो लज्ज़त-ऐ-फिराक है

इसी लिए तो मौत को विसाल कहते आए हैं

मुझे नही है आरजू विसाल-ऐ-यार की जकी

विसाल को तो इश्क का ज़वाल कहते आए हैं

-------महमूद जकी

Wednesday, October 22, 2008

दिवाली

आज दिवाली है फिर दीप जलेंगे साथी
जगमगाएगा नई शान से भारत अपना
रूप बदलेगी नए ढंग से मोहब्बत अपना
तेरे शायर को नए गीत मिलेंगे साथी

काश ये दीप हर एक दिल में उजाला कर दें
इन के जलने से जहालत के अंधेरे जल जाएँ
इनकी खुशियों से ज़माने को सवेरे मिल जाएँ
काश इज्ज़त को वतन की ये दो बाला कर दें

दिल के अरमान तुझे आज बताऊँ साथी
काश अल्फाज़ में पैदा ये असर हो जाए
काश दिवाली की ये रात अमर हो जाए
और में तुझको यूँ ही गीत सुनाऊँ साथी

गीत से मेरे ये महफिल ही निराली हो जाए
यूँ अगर हो तो हकीक़त ही दिवाली हो जाए
--------महमूद जकी



आप सभी को दिवाली मुबारक

Monday, October 13, 2008

हाथ बटाओ

जीने का अहसास सजाओ

दुख में सुख के दीप जलाओ

मेरे गीत पे झूमने वालों

आओ मेरा हाथ बटाओ

-------- महमूद जकी