Thursday, June 5, 2008

हालात

ज़िंदगी के सफर मे कभी बड़े -बड़े सदमे इंसान सह लेता है तो कभी एक छोटी- सी परेशानी बड़ी तकलीफदेह और जान लेवा सी लगने लगती है। ऐसा क्यों होता है ? सोच रहा हूँ। मुझे लगता है शायद तकलीफ के अहसास की शिद्दत हालात पर निर्भर करती है। अगर हालात साज़गार हों तो बड़ी परेशानी का भी सामना आसानी से किया जा सकता है। पर यह हालात को काबू मे कैसे किया जाए ? हालात होते क्या है कमबखत कहीं के। उस दिन और उस समय की आपकी सोचने की धारा , अगर वह सकारात्मक है, तो आपकी दिमागी हालत सकारात्मक होगी और इस सकारात्मक सोच के बल पर आप अपने आस- पास के वातावरण को भी सकारात्मक बना पाएंगे। आपके दिमाग, दिल और आस - पास के वातावरण से ही आपके हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। तो अपने हालात को काबू मे रखने के लिए सोच से लेकर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष वातावरण को सकारात्मक रखना ज़रूरी है।

2 comments:

Unknown said...

kiski chorai???????

Dr. Nazar Mahmood said...

shukriya bhai asad tum ne saabit kar diya ke shayad yeh lekh tumko pasand aaya hai