duniya ko dekhne ka apna andaaz
रेल हादसे की डाइन खाए जात है
हर तरफ से मुश्किल में इंसानी ज़ात है
मातम ही मातम हर सू दिखाई दे
दिन में भी लगता ही कि काली रात ही
दर्दनाक जी...
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दर्दनाक जी...
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