duniya ko dekhne ka apna andaaz
ज़िन्दगी तेरा कुछ निजाम तो हो
कह रहे है जिस ग़म- ऐ- हस्ती
ये फ़साना कहीं तमाम तो हो
ज़िन्दगी की हसीन राहों में
चंद लम्हात का कयाम तो हो
मंजिलें अब भी मुन्तजिर हैं जकी
जज्बा- ऐ- शोक तेज़गाम तो हो
------------महमूद जकी
मंजिलें अब भी मुन्तजिर हैं जकी जज्बा- ऐ- शोक तेज़गाम तो हो " beautiful thought and creation, liked it"जिन्दगी की धुप ने झुलसा दिया,एक शीतल छावं की तलाश है...रास्तों मे मंजिलें भटक गईं , एक ठहरे गावं की तलाश है .........Regards
बेहतरीन,बहुत उम्दा.
कह रहे है जिस ग़म- ऐ- हस्ती ये फ़साना कहीं तमाम तो हो भाई वाह...वा...बहुत खूब...बेहतरीन ग़ज़ल.नीरज
कह रहे है जिस ग़म- ऐ- हस्तीये फ़साना कहीं तमाम तो होbahut khoob....subhanaalh....
ज़िन्दगी की हसीन राहों में चंद लम्हात का कयाम तो होमंजिलें अब भी मुन्तजिर हैं जकी जज्बा- ऐ- शोक तेज़गाम तो हो बेहतरीन रचना...
Bhai Wah..Behtreen prastuti.......
हम तो आपको पढ़ने के बाद आपके कायल हो गये! अब तो रोज़ यूँ ही मुलाक़ात होगी!
श्री नज़र साहेब बेहतरीन ग़ज़ल पढ़वाने के लिए शुक्रिया ज़िंदगी खूबसूरत रहे मोड़ हर हसीं रहे अपने जीने के साथ सूस्रों के लिए कुछ पैगाम तो हो . आपके मेरे ब्लॉग पर आगमन के लिए धन्यबाद कृपया चुनावी दंगल पढने पुन: पधारे प्रदीप मनोरिया
बेहतरीन रचना
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9 comments:
मंजिलें अब भी मुन्तजिर हैं जकी
जज्बा- ऐ- शोक तेज़गाम तो हो
" beautiful thought and creation, liked it"
जिन्दगी की धुप ने झुलसा दिया,
एक शीतल छावं की तलाश है...
रास्तों मे मंजिलें भटक गईं ,
एक ठहरे गावं की तलाश है .........
Regards
बेहतरीन,बहुत उम्दा.
कह रहे है जिस ग़म- ऐ- हस्ती
ये फ़साना कहीं तमाम तो हो
भाई वाह...वा...बहुत खूब...बेहतरीन ग़ज़ल.
नीरज
कह रहे है जिस ग़म- ऐ- हस्ती
ये फ़साना कहीं तमाम तो हो
bahut khoob....subhanaalh....
ज़िन्दगी की हसीन राहों में
चंद लम्हात का कयाम तो हो
मंजिलें अब भी मुन्तजिर हैं जकी
जज्बा- ऐ- शोक तेज़गाम तो हो
बेहतरीन रचना...
Bhai Wah..
Behtreen prastuti.......
हम तो आपको पढ़ने के बाद आपके कायल हो गये! अब तो रोज़ यूँ ही मुलाक़ात होगी!
श्री नज़र साहेब बेहतरीन ग़ज़ल पढ़वाने के लिए शुक्रिया ज़िंदगी खूबसूरत रहे मोड़ हर हसीं रहे
अपने जीने के साथ सूस्रों के लिए कुछ पैगाम तो हो . आपके मेरे ब्लॉग पर आगमन के लिए धन्यबाद कृपया चुनावी दंगल पढने पुन: पधारे
प्रदीप मनोरिया
बेहतरीन रचना
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