देहली वाले बारिश से बेहाल हुए
उनके चहरे घुस्से से कैसे लाल हुए
क्या कर रही ही हुकूमत drainage सिस्टम का
अब तो संसद में भी यह सवाल हुए
duniya ko dekhne ka apna andaaz
बगैर इश्क ज़िन्दगी वबाल कहते आए हैं
मुझे गुरुर-ऐ-ज़ब्त-ऐ-ग़म नही मगर ये अहले दिल
इन आँसूओं का रोकना कमाल कहते आए हैं
बकैद-ऐ-रस्म-ऐ-आशिकी ब-पास-ऐ-अजमत-ऐ-वफ़ा
नज़र-नज़र से अपने ग़म का हाल कहते आए हैं
जुनू जिसे समझ गया , मगर न अक्ल पा सकी
वह इस तरह भी किस्सा-ऐ-जमाल कहते आए हैं
कशाकश-ऐ-हयात ही तो लज्ज़त-ऐ-फिराक है
इसी लिए तो मौत को विसाल कहते आए हैं
मुझे नही है आरजू विसाल-ऐ-यार की जकी
विसाल को तो इश्क का ज़वाल कहते आए हैं
-------महमूद जकी